गुजारिश………….फिर!
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे तुम्हारे बस में अगर हो तो भूल जाओ हमें तुम्हें भूलने में शायद मुझे ज़माना लगे हमारे प्यार से जलने लगी है ये दुनिया दुआ करो किसी दुश्मन की बद्दुआ न लगे न जाने क्या है उसकी बेबाक आंखों में वो मुँह छुपा के जाए भी तो बेवफा न लगे जो डूबना है तो इतने सुकून से डुबो के आस-पास की लहरों को भी पता न लगे हो जिस अदा से मेरे साथ बेवफ़ाई कर के तेरे बाद मुझे कोई बेवफा न लगे वो फूल जो मेरे दामन से हो गए मंसूब खुदा करे उन्हे बाज़ार की हवा न लगे तुम आँख मूँद के पी जाओ ज़िन्दगी ‘कैसर’ के एक घूँट में शायद ये बद-मज़ा न लगे
I really missing you alot.. i am so sorry i was so hurt you .. always. i remember my mistakes,, can you forgive me last time pleaseeeeee..
This is heartbreaking.
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Thanks so much
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